सुख-दुख में समत्व: भगवद गीता श्लोक 38 की सीख और आज का जीवन संग्राम

श्लोक 38: एक पंक्ति जो मन के तूफानों को साधे मैंने उस रात श्लोक को बार-बार पढ़ा। मन कहीं रुक गया था: सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ। ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि॥ कितनी सरल पंक्ति है ना? लेकिन इसका मतलब… ओह, वो दिल की तहों तक उतरता है। “सुख-दुख को समान समझो। लाभ-हानि में फर्क … Read more