भगवद गीता अध्याय 2 श्लोक 33: धर्म और कर्तव्य का आधुनिक संदर्भ में गूढ़ विश्लेषण

भगवद गीता अध्याय 2 श्लोक 33 का चित्रण – कर्तव्य, धर्म और आत्म-सम्मान का संदेश

Intangible WhatsApp Facebook X भगवद गीता अध्याय 2 श्लोक 33: धर्म से विमुख होने पर क्या होता है? “अथ चेत्त्वमिमं धर्म्यं संग्रामं न करिष्यसि। ततः स्वधर्मं कीर्तिं च हित्वा पापमवाप्स्यसि॥ 33॥” “यदि तुम इस धर्मयुक्त युद्ध को नहीं करोगे, तो स्वधर्म और कीर्ति को खोकर पाप को प्राप्त होओगे।” भूमिका: जब गीता हमारे समय से … Read more