भगवद गीता श्लोक 2.41 का रहस्य: एकनिष्ठ बुद्धि, आत्म-विकास और लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग

भगवद गीता श्लोक 2.41: जब मन भटकता है और लक्ष्य खो जाता है भूमिका: जब मन भटकता है जीवन में ऐसे मोड़ अक्सर आते हैं जब हम यह तय नहीं कर पाते कि सही दिशा क्या है। कभी करियर, कभी रिश्ते, कभी आत्म-संदेह — हर तरफ शोर सा होता है। ऐसे में मन का भटकना … Read more

कर्म का लेखा-जोखा: भगवद गीता श्लोक 40 से सीखें जीवन का असली धर्म

  Reversible Actions, Irreversible Outcomes मुझे आज भी याद है — कॉलेज के दिनों का एक दोस्त, जो परीक्षा में चीटिंग करते पकड़ा गया था। वो कोई बुरा इंसान नहीं था, बस एक पल का डर, और उसने गलत रास्ता चुन लिया। बाद में वो पढ़ाई में अव्वल रहा, अपने जूनियर्स को भी गाइड करता … Read more